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मुंशी प्रेमचंद जयंती-31 जुलाई 2024
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 1880 ईस्वी में वाराणसी से 5 मील दूर लमही नामक ग्राम में हुआ था। उनका मूल नाम धनपतराय था। उनके पिता मुंशी अजायबराय डाकखाने में नौकरी करते थे। उनका प्रारंभिक जीवन आर्थिक संकट में बीता। उन्होंने क्वीन्स कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करके एक सरकारी स्कूल में अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। कुछ दिनों तक वह सब-डिप्टी इंस्पेक्टर भी रहे। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और 1919 ईस्वी में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। बचपन में ही उनका विवाह हो गया था किंतु 1905 ईस्वी में उन्होंने दूसरा विवाह किया। प्रेमचंद 'नवाबराय' के नाम से उर्दू में कहानियां लिखते थे जो 'जमाना' तथा 'अदीब' नामक पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थी। उनका पहला कहानी-संग्रह 'सोजे-वतन' था।
उन्होंने रामदास गौड़ की प्रेरणा से हिंदी में लेखन शुरू किया और अपना नाम प्रेमचंद्र रखा। नौकरी में मन ना लगने से संपादन का कार्य शुरू किया। बाद में अपनी स्वयं की पत्रिका 'हंस' निकाली। किंतु घाटा हो जाने के कारण इसे बंद करना पड़ा। कुछ समय तक उन्होंने बंबई में फिल्म कंपनी में भी काम किया। लौटकर 'जागरण' का प्रकाशन आरंभ किया किंतु वह भी न चला। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में सामान्य जनजीवन को स्थान दिया। कला और तकनीक की दृष्टि से यह कहानियां विश्व की श्रेष्ठ कहानियों के समकक्ष हैं। उनका पहला हिंदी कहानी संग्रह 1917 ईस्वी में 'मानसरोवर' नाम से प्रकाशित हुआ। इसके बाद 'प्रेम पूर्णिमा', 'प्रेम पचीसी', 'प्रेम प्रसून' 'प्रेम द्वादशी', 'प्रेम प्रतिमा', 'प्रेम तीर्थ', 'प्रेम पंचमी' आदि पुस्तकें प्रकाशित हुई जिनमें प्रेम प्रेमचंद का द्योतक है। बाद में समस्त कहानियां 'मानसरोवर' नाम से आठ भागों में प्रकाशित हुई।







